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स्वस्थ भारत!

"स्वस्थ भारत" यह कोई मात्र दो शब्द नहीं हैं वरन एक विचारधारा है, परन्तु यह हमारा दुर्भाग्य है कि आज सबने खासकर स्वयं को नेता कहने वाले लोगो ने अपने स्वार्थ के लिए देश का विकास, कल्याण और कई मुद्दों को अपना साधन बना रखा है।

भारत स्वस्थ तभी होगा जब प्रत्येक भारतीय का तन और मन दोनों से भारत के हित में कार्य करना आरंभ करेगा। इसके लिये किसी वृहद चर्चा की आवश्यकता नहीं है परन्तु देश को सर्वोपरि रखकर जाति-मूल, तेरा-मेरा, तू-तू, मैं-मैं जैसी छोटी परन्तु बड़ी रुकावटों से ऊपर उठना ही होगा, जिस दिन इन देशवासियों के दिलो में "सबसे पहले भारत" आएगा, तभी यह परिवर्तन सम्भव हो सकेगा।

इस विचारधारा को आगे ले जाना होगा, एक मानसिकता जिसमें भारत के विकास, कल्याण एवं भारतीयता पर जोर दिया जा रहा हो उसका विकास हो। क्योंकि शरीर से अपंग होने पर भी व्यक्ति कुछ करने में समर्थ हो सकता है मगर यदि उसकी मानसिकता एक बार जैसी बन जाये उसका बदल पाना बहुत मुश्किल होता है।

प्रत्येक भारतवासी के दिल और दिमाग में "भारत माता की जय" और "वन्दे मातरम" गुंजायमान होना चाहिए। देशप्रेम ही इस असाध्य रोग का इलाज है, भारत तभी स्वस्थ हो सकेगा जब यहां रहने वाले हर एक व्यक्ति की मानसिकता शुद्ध एवं स्वस्थ होगी। हमें शहीदों के जीवन का हरेक अध्याय पढ़ाया जाना चाहिए ताकि लोग ये समझ सकें कि शरीर से कमजोर होने से कुछ नहीं होता अगर इरादे पक्के हो तो क्या कुछ नहीं किया जा सकता। क्योंकि "मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।"

हमारी वैदिक संस्कृति में राष्ट्र को ही सर्वोपरि माना गया है, राष्ट्रसेवा को ही परमधर्म बताया गया है, जो बात राष्ट्रसंगत है वही धर्मसंगत हो सकती है। प्राचीनकाल से ही देशभक्ति अपने उच्चतम स्तर पर रही है जिनके अनेकों उदाहरण आज भी मिल जाते हैं, चाहे वह श्रीराम का मातृभूमि से मुट्ठी भर मिट्टी लेकर वन गमन हो या महाराणा प्रताप का अपनी मिट्टी के लिए विराट से विराट युद्ध करना। मगर जिसने भी अपनी मिट्टी को गले लगाया वह कभी हारा नहीं!

"जननी जन्मभूमिश्च!" अर्थात जन्मभूमि माता है!  सैकड़ों वीरों ने अपने उच्च कोटि के मानसिक विचारभाव को सँजोकर भारत माता को गौरवान्वित किया है। कई क्रांतिकारियों ने भूखे पेट रहकर भी संग्राम किया, गरीबी, बेरोजगारी जैसे कई बुरी हालातों में जन्मे वीरों ने देश का नाम रोशन किया है। जिससे यह सिद्ध होता है कि दिल में देश के प्रति प्रेम भावना और वतन पर मर मिटने का जज्बा होना चाहिए। तभी देश स्वस्थ होगा, तभी देश आगे बढ़ेगा और एक बार फिर विश्वगुरु बनेगा।

यदि देश को स्वस्थ रहना है तो देशवासियो की मानसिक एव शारीरिक स्थिति सही रखनी होगी। क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। देशप्रेम ही जातिगत- धर्मगत दंगे-फसादों, भुखमरी, गरीबी, बेरोजगारी, सत्ता-स्वप्न, भ्रष्टाचार आदि जैसे अनेकों लाइलाज बीमारियों का रामबाण इलाज है। जिस दिन प्रत्येक भारतवासी के दिल से "वन्दे मातरम" गूंज उठेगा, उसी दिन भारत पूर्ण रूप से स्वस्थ होगा।

भारत माता की जय🙏
वन्दे मातरम🇮🇳🇮🇳🇮🇳

#MJ
#प्रतियोगिता

मनोज कुमार "MJ"

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16 Comments

सही बात है जब तन और मन से हम देश की सेवा में जुट जाएंगे तभी इस देश को हम स्वस्थ रख सकेंगे

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Thank You sir

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Swati chourasia

16-Aug-2021 01:49 PM

Nice

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बहुत शुक्रिया आपका

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Adeeba Riyaz

16-Aug-2021 01:45 PM

Nice

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Thank you

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